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Dr. Shipra Baig (Meet The Teachers 2020) – बच्चों के भविष्य को सँवारने वाली शिक्षिका

Dr. Shipra Baig (Meet The Teachers 2020) – बच्चों के भविष्य को सँवारने वाली शिक्षिका
Dr. Shipra Baig
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माँ को देखकर शिक्षिका बनने का विचार आया : डॉ. शिप्रा बैग (Dr. Shipra Baig)

मिलिए डॉ. शिप्रा बैग (Dr. Shipra Baig) से, सहायक शिक्षिका, शासकीय प्राथमिक शाला, बैरन बाजार, रायपुर, छत्तीसगढ़। उनका मानना है कि उनकी माँ, जो शासकीय स्कूल में प्रधानपाठिका रही हैं, उन्हें देखकर ही उनके मन में शिक्षिका बनने का विचार उत्पन्न हुआ। घर में प्रारंभ से ही शिक्षा का वातावरण था। वे कहती हैं, “मेरे पिताजी का एक ध्येय वाक्य था – ‘शिक्षा से ही व्यक्ति सम्मान प्राप्त कर सकता है।’ और यही उन्होंने अपनी शाला के बच्चों को भी सिखाया।”

डॉ. शिप्रा बैग (Dr. Shipra Baig) ने अर्थशास्त्र और हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद हिंदी साहित्य में ही उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसके अलावा, उन्होंने कथक नृत्य में ‘विशारद’ की उपाधि प्राप्त की और ड्रेस डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग में टॉप रैंक हासिल किया। खेलकूद में भी वे पीछे नहीं रहीं — यूनिवर्सिटी गेम्स में हॉकी में तीन बार विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया और खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर भाग लिया।
उन्हें पुस्तकें पढ़ने में विशेष रुचि है। सुगम संगीत में डिप्लोमा भी किया है, और उनकी कई रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।

उनके लिए शाला के बच्चे बहुत मायने रखते हैं क्योंकि वे ऐसे परिवेश से आते हैं, जहाँ उनके माता-पिता प्रतिदिन एक-एक पैसे के लिए संघर्ष करते हैं। ऐसे बच्चों के अभिभावक शिक्षकों के पास यह उम्मीद लेकर आते हैं कि भले ही वे अपने बच्चों को बड़े स्कूलों में न पढ़ा पाएँ, लेकिन कम-से-कम स्कूल भेज पा रहे हैं। ऐसे बच्चों को पूरे समर्पण के साथ पढ़ाना एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। डॉ. शिप्रा बैग ने ऐसे बच्चों को नवोदय विद्यालय में प्रवेश दिलाने हेतु स्कूल में ही अधिक समय देकर उन्हें पढ़ाया।

इसके अलावा, विज्ञान प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, साहित्यिक गतिविधियाँ और खेलकूद आदि में भी बच्चों को पूरे सहयोग और मार्गदर्शन के साथ तैयार किया जाता है। Dr. Shipra Baig द्वारा अध्ययन और अध्यापन में नाटक, कविता, कहानी और खेल-खेल में रुचिपूर्ण शिक्षण करवाया जाता है। उन्होंने राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिता हेतु स्काउट टीचर के रूप में भी योगदान दिया है। शून्य निवेश नवाचार कार्यक्रम के तहत सहायक शिक्षण सामग्री हेतु प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया।

कोरोना संक्रमण के दौरान उन्होंने घर से ही बच्चों को नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाएँ लीं। जिलास्तरीय ऑनलाइन कक्षाएँ भी संचालित कीं। जिन पालकों के पास स्मार्ट मोबाइल नहीं थे, उनके बच्चों के लिए अपनी आवाज़ में पाठ्यक्रम रिकॉर्ड करके ब्लूटूथ के माध्यम से पठन सामग्री उपलब्ध कराई। नियमित ऑनलाइन कक्षाएँ लेने और अधिक से अधिक बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।

डॉ. शिप्रा बैग (Dr. Shipra Baig) का मानना है कि शाला के बच्चों का भविष्य गढ़ना एक माँ के अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में पालने जैसा है। जिस प्रकार माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक अपनी देखरेख में रखकर दुनिया में लाती है और फिर थोड़े बड़े होने पर उन्हें हमें सौंप देती है, उसी विश्वास के साथ वह हमें यह जिम्मेदारी सौंपती है। इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि हम शिक्षकों के रूप में बच्चों के भविष्य की नैतिक जिम्मेदारी लें और उनका विकास सुनिश्चित करें।


Meet The Teachers

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