Rahil Mohammed: एक गांव से इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तक का सफर

Rahil Mohammed: एक गांव से इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तक का सफर
“प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती”—इस कहावत को सच कर दिखाया अलवर (राजस्थान) के लक्ष्मणगढ़ गांव के एक लड़के Rahil Mohammed ने। जिन्होंने खुद की मेहनत, लगन और जुनून से अपनी पहचान इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराई और देशभर के युवाओं के लिए मिसाल बन गए।
शुरुआत: एक साधारण लड़के से एक सपना देखने तक
Rahil Mohammed बताते हैं:
“मेरा नाम Rahil Mohammed है और मैं लक्ष्मणगढ़ अलवर का रहने वाला हूं। मैं इंडिया के सबसे युवा ऐप डेवलपर्स में से एक हूं और अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हूं।”
बचपन में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अलवर के एक लड़के ‘इमरान’ का जिक्र किया, जिसने गांव में रहते हुए ऐप्स बनाईं, तो Rahil Mohammed के कान खड़े हो गए। “मेरा हिंदुस्तान ऐसे ही इमरानों के बीच बसता है”—ये शब्द सुनकर उनके भीतर भी कुछ कर गुजरने की आग जल उठी। उस वक्त उन्हें ऐप्स के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी, लेकिन उसी दिन उन्होंने ठान लिया कि कुछ बड़ा करना है।
संघर्ष: खुद से खुद को तैयार करना
गांव में कोई इंस्टीट्यूट नहीं था, जहां से Rahil Mohammed ऐप डेवलपमेंट सीख पाते। उन्होंने खुद इंटरनेट और यूट्यूब की मदद ली। HTML, CSS, JAVA, XML, PHP जैसी लैंग्वेज सीखी। इसके बाद ब्लॉगर पर एक ब्लॉग बनाकर उसमें कोडिंग से वेबसाइट डिजाइन की। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने आगे बढ़ने की ठानी।
एंड्रॉयड ऐप बनाने के लिए एंड्रॉयड स्टूडियो की जरूरत थी, लेकिन उनके लैपटॉप में ये चलता ही नहीं था। पैसे की कमी भी थी। Rahil Mohammed ने 6 महीने तक खर्चों में कटौती की और एक नया लैपटॉप खरीदा, जिसमें एंड्रॉयड स्टूडियो इंस्टॉल हो सका।
पहला ऐप और पहली कमाई
नए लैपटॉप पर काम करते हुए Rahil Mohammed ने अपनी पहली हिंदी ग्रामर ऐप बनाई। वे इतने उत्साहित थे कि सबसे पहले इमरान भाई को मैसेज किया, जिनके बारे में प्रधानमंत्री ने कहा था। इमरान भाई ने उन्हें शाबाशी दी और बताया कि ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर डालने के लिए 25 डॉलर फीस देनी होती है।
पैसे की दिक्कत यहां भी थी, लेकिन तभी एक व्यक्ति ने उनसे वेबसाइट डिजाइन करवाई, जिसके बदले में उन्हें 2000 रुपये मिले। इसी पैसे से उन्होंने प्ले स्टोर पर अकाउंट बनाया और अपनी पहली ऐप पब्लिश की। तब उनकी उम्र सिर्फ 16 साल थी और वे 11वीं कक्षा में पढ़ रहे थे।
लोगों की मदद करने का जज्बा
पहली ऐप के शानदार रिस्पॉन्स से प्रेरित होकर Rahil Mohammed ने तय किया कि वे ऐसी ऐप्स बनाएंगे, जो बच्चों की असल समस्याओं को हल कर सकें। उन्होंने पढ़ाई के दौरान महसूस किया कि बच्चों को बेसिक ग्रामर और छोटे-छोटे टॉपिक्स में दिक्कतें आती हैं, जबकि ज्यादातर ऐप्स सरकारी नौकरी या कॉलेज की तैयारी से जुड़ी होती हैं। उन्होंने बच्चों के लिए ग्रामर और बेसिक जानकारी देने वाली ऐप्स बनानी शुरू कर दीं।
सम्मान और पहचान की ऊंचाइयां
Rahil Mohammed की मेहनत रंग लाई:
- 2018 में Ignite Talks जयपुर (Agrawal PG College) में मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर बुलाया गया, जहां उन्होंने अपनी लाइफ जर्नी साझा की।
- 18 जनवरी 2019 को राजस्थान पत्रिका ने उनके ऊपर एक आर्टिकल पब्लिश किया। उसी दिन अलवर के कलेक्टर श्री इंद्रजीत सिंह जी ने उनसे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल खराब होने से बात नहीं हो पाई। बाद में उनसे मुलाकात हुई और कलेक्टर साहब ने उन्हें सम्मानित किया।
- 24 फरवरी 2019 को जोश टॉक्स प्लेटफॉर्म पर बुलाया गया, जहां अनुराग कश्यप, बोमन ईरानी, सोनम वांगचुक जैसे कई बड़े नाम अपनी कहानियां सुना चुके हैं।
- 1 जून 2019 को एंटरप्रेन्योर लाइव नेटवर्क की ओर से India Young Achievers Award 2019 से नवाजा गया।
- 17 जून 2019 को दिल्ली के पूलमैन होटल में आयोजित Google Webmaster Conference 2019 में आमंत्रित किया गया, जहां गूगल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां सीखने को मिलीं।
- 26 जून 2019 को अलवर के कलेक्टर श्री इंद्रजीत सिंह जी द्वारा सम्मानित किया गया।
- 28 जुलाई 2019 को बीकानेर के होटल सागर निवास लालगढ़ पैलेस में आयोजित राष्ट्रीय स्टार डायमंड अचीवर्स अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया।
परिवार के साथ एक खास पल
Rahil Mohammed को याद है कि एक बार वे अपने पापा के साथ एक कॉन्फ्रेंस में गए थे, जहां इमरान भाई ने कहा:
“हमारे बीच ही कुछ ऐसे लोग हैं, जो हमारे बीच ही रहकर दुनिया बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हीं में से एक बच्चा Rahil Mohammed है।”
इतना सुनते ही पूरा ऑडिटोरियम उनकी तरफ देखने लगा और इमरान भाई ने उन्हें सम्मानित किया। मंच से उतरने पर उनके पापा की आंखों में गर्व और खुशी की अलग सी चमक थी।
आज और भविष्य
आज Rahil Mohammed के बनाए 12 से भी ज्यादा ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर हैं। उनकी 12वीं कक्षा की रसायन विज्ञान की ऐप को 90,000+ विद्यार्थी इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अब भी नई वेबसाइट्स और ऐप्स बनाने में लगे हैं, ताकि बच्चे खुद अपनी तैयारी का टेस्ट ले सकें और सरकारी नौकरी की तैयारी मुफ्त में कर सकें।
वे कहते हैं:
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज होगा। लेकिन मेहनत और लगन से सब कुछ संभव है।”
Rahil Mohammed की कहानी बताती है कि अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने की जिद हो, तो कोई भी मुश्किल आपकी राह रोक नहीं सकती। एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने साबित कर दिया कि इंटरनेट और मेहनत के दम पर कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। आज वे लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।
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