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Rita Mandal (Meet The Teachers 2020): अंको की जादूगरनी

Rita Mandal (Meet The Teachers 2020): अंको की जादूगरनी

Rita Mandal
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Rita Mandal (Meet The Teachers 2020): अंको की जादूगरनी

मिलिए रीता मंडल (Rita Mandal ) से, जो पी.जी. उमाठे पूर्व माध्यमिक कन्या शाला, शांतिनगर, रायपुर, छत्तीसगढ़ में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। वे वर्ष 2005 से सेवाएं दे रही हैं। पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रहीं — स्कूल हो या कॉलेज, हमेशा ही टॉप 3 में रहीं। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें यह अहसास हुआ कि जब वे अपने छोटे भाई या जूनियर स्टूडेंट्स को पढ़ाती थीं, तो वे उनकी बातें आसानी से समझ लेते थे। तभी उन्होंने ठान लिया था कि वे एक दिन शिक्षिका ही बनेंगी।

रीता मंडल (Rita Mandal ) ने वर्ष 2007 में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से गणित में एम.एससी तथा वर्ष 2009 में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. (जिसमें उन्होंने गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया) किया है। साथ ही उन्होंने बी.एड भी किया है। उन्हें किताबें पढ़ने के अलावा गायन, नृत्य, साहित्य तथा रचनात्मक कार्यों में विशेष रुचि है, जिनका वे अपने शिक्षकीय कार्य में भरपूर उपयोग करती हैं।

वर्तमान विद्यालय में वे वर्ष 2008 से कार्यरत हैं। यह कन्या शाला होने के कारण उनका बच्चियों से विशेष जुड़ाव है। एक बार विद्यालय में एक सर्वे द्वारा यह पाया गया कि अधिकतम बच्चों का प्रिय विषय गणित है। यह दिन उनके लिए अविस्मरणीय था क्योंकि प्रायः बच्चे गणित से डरते हैं और उसे कठिन मानते हैं, लेकिन उनकी पढ़ाने की शैली ने बच्चों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गणित को बच्चों के लिए रोचक बनाने के लिए उन्होंने पढ़ाई के तरीकों में कई बदलाव किए।

उन्होंने गणित की अवधारणाओं को विभिन्न टीएलएम (शैक्षिक साधन), गतिविधियों और कहानियों के माध्यम से जोड़ना शुरू किया। गणित को रोजमर्रा के जीवन से जोड़ते हुए बच्चों में रुचि जगाई। गणित में कमजोर बच्चों के लिए अलग समूह बनाकर, नई विधियों और पूर्व ज्ञान के आधार पर पढ़ाती हैं। वे बच्चों को छोटी कक्षाओं में गणित का शिक्षक बनाकर उनमें आत्मविश्वास भी भरती हैं।

उनका मानना है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें उचित अवसर देना जरूरी है। इसलिए वे बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में — चाहे संकुल स्तरीय हो, विकासखंड स्तरीय या जिला स्तरीय — स्वयं अपनी गाड़ी से ले जाती हैं ताकि कोई अवसर उनके हाथ से न निकल जाए। वे बताती हैं कि जब उनके बच्चे जिला या राज्य स्तरीय पुरस्कार जीतकर लौटते हैं तो उनका आत्मविश्वास बहुत ऊँचा हो जाता है।

विद्यालय में उन्होंने प्रत्येक कक्षा में गणित कॉर्नर बनाया है और समय-समय पर गणित प्रश्नोत्तरी का आयोजन करती हैं, जिससे बच्चे बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। प्रत्येक वर्ष बाल मेले का आयोजन करती हैं, जिसमें बच्चे अपने बनाए गए मुख्य शैक्षिक क्रियाकलापों का प्रदर्शन करते हैं। इस मेले में बच्चों के पालक, वार्ड पार्षद, अन्य गणमान्य नागरिक, बीईओ तथा विभागीय अधिकारी भी आमंत्रित रहते हैं।

शासन की लगभग हर शैक्षिक गतिविधि में उनका योगदान रहता है। Rita Mandal गणित की जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर, निखार कार्यक्रम में डीआरजी के रूप में, एसएलए में प्रश्न निर्माण कार्य, राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में पाँच वर्षों से कार्यकारिणी सदस्य सहित कई भूमिकाओं में कार्य कर चुकी हैं।

उन्होंने अपने बनाए गए टीएलएम को संकुल की अन्य शालाओं में भी ले जाकर बच्चों को पढ़ाया, जिससे वहाँ के बच्चे ही नहीं, बल्कि शिक्षक भी टीएलएम बनाकर पढ़ाने के लिए प्रेरित हुए। इस नवाचार को उन्होंने ‘संकुल लर्निंग कम्युनिटी’ नाम दिया, जिसे खूब सराहना मिली।

हाल ही में ‘भविष्य सृजन’ विषय के अंतर्गत Rita Mandal ने अपनी शाला के बच्चों को उनके सपनों के अनुसार सम्माननीय व्यक्तियों से मिलवाया। जैसे — डॉक्टर बनने की इच्छा रखने वाले बच्चों को नारायणा हॉस्पिटल रायपुर के डॉक्टर श्री विवेक त्रिपाठी से मिलवाया, जिन्होंने बच्चों को डॉक्टर पेशे के बारे में मार्गदर्शन दिया और अपने सफर की कहानी भी सुनाई। उनकी बातें सुनकर बच्चों में जबरदस्त जोश भर गया। इसी प्रकार जो बच्चे बैंकर बनना चाहते थे, उन्हें एसबीआई के ब्रांच मैनेजर से मिलवाया। ट्रैफिक पुलिस, गायक, सीए आदि अन्य व्यवसायों के विशेषज्ञों से भी बच्चों को मिलवाया।

इस नवाचार के लिए उन्हें दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा श्री रमेश पोखरियाल जी के हाथों सम्मान प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त, उन्हें वर्ष 2018 में ‘जिला स्तरीय मोस्ट पॉपुलर टीचर अवॉर्ड’ तथा 2019 में ‘मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण’ के तहत ‘ज्ञानदीप पुरस्कार’ भी प्राप्त हुआ।

Rita Mandal का मानना है कि इन पुरस्कारों ने उनमें नई ऊर्जा भर दी है। इस ऊर्जा से वे न केवल शिक्षा के आकाश में ऊँची उड़ान भरेंगी, बल्कि अपने बच्चों को भी स्वतंत्र उड़ान भरना सिखाएँगी। लॉकडाउन में भी वे ऑनलाइन नियमित राज्य स्तरीय कक्षाएँ ले रही हैं।

उन्होंने अपनी शाला में पोक्सो बॉक्स भी लगवाया है, जिसमें बच्चे अपनी समस्याएँ लिखकर डाल सकते हैं। बाद में समिति के सदस्य (जिसमें वे भी शामिल हैं) इन्हें पढ़ते हैं और गोपनीयता रखते हुए उचित समाधान निकालते हैं। आवश्यकता पड़ने पर काउंसलिंग भी करवाई जाती है।

Rita Mandal अपने कार्यों को प्रतिदिन नए पड़ाव पर देखती हैं और गर्व से कहती हैं कि वे दो बेटियों की माँ होने के साथ-साथ 152 बेटियों की ‘टीचर माँ’ भी हैं।


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