Diverse Dimensions Of Hindi With Media Technology : Jaipal Soni
मीडिया तकनीकी के साथ हिंदी के विविध आयाम
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। वह समाज में घटित घटनाओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है। इन जानकारियों को देश दुनिया के हर कोने में पहुंचाने का कार्य मीडिया कर रहा है। आज के युग में मीडिया तकनीक के सहारे तेजी से न्यू मीडिया के रूप में पांव पसार रहा है ।
मीडिया के माध्यम की भाषा का भी तकनीकी रूप से सुदृढ़ होना आवश्यक है। हिंदी (Hindi) भाषा साहित्य, शब्दावली, इतिहास की दृष्टि से समृद्ध है परंतु तकनीकी के रथ पर सवार मीडिया के क्षेत्र में इसका तकनीकी रूप से सुदृढ़ होना जरूरी है।
हिंदी (Hindi) का इंटरनेट पर तेजी से बढ़ता ग्राफ इसके वैश्विक प्रसार को इंगित करता है। पिछले कई वर्षों में अन्य भाषाओं के मुकाबले हिंदी (Hindi) के पाठकों, अखबारों, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है।
तकनीक ने जहां मीडिया को नवीनता और सृजनात्मकता दी है वहीं हिंदी (Hindi) ने मीडिया को आमजन तक विस्तार भी दिया दिया है। मीडिया के माध्यम से हिंदी (Hindi) को भी वैश्विक विस्तार मिला है क्योंकि पूरी दुनिया में हिंदी (Hindi) भाषा को जानने वाले बैठे हैं। कंप्यूटर की शुरुआत में जहां अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी के पतन की आशंका थी वहीं हिंदी ने अंग्रेजी के मुकाबले अधिक लोकप्रियता पाई ।
अब हिंदी (Hindi) के कंप्यूटरीकरण में विस्तार की आवश्यकता है। हिंदी (Hindi) के यूनिकोड ,वर्तनी शुद्धि हेतु सुइट , लाइनेक्स और हिंदी का वर्चुअल की-बोर्ड आने से हिंदी को इंटरनेट पर पांव पसारने का अवसर मिला है। गूगल मैप,वॉइस सर्च सुविधाएं हिंदी में आने पर के बाद ई-मेल सुविधा भी हिंदी में उपलब्ध होगी।
इस प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी के युग में हिंदी भी तकनीक से अछूती नहीं है ।इसके तकनीकी विकास के साथ जागरूकता का भी होना जरूरी है। हिंदी और मीडिया दोनों को अपने विस्तार के लिए एक दूसरे की महती आवश्यकता है ।
21वीं सदी में मीडिया और हिंदी का वैश्विक विस्तार –
21वीं सदी का वक्त मीडिया और जनसंचार का युग है। जनसंचार से तात्पर्य किसी विचार या जानकारी का जनता तक पहुंचना हैं।जनसंचार के साधन मीडिया कहलाते हैं। आज मीडिया जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभावित कर रहा है।यह एक विशिष्ट क्षेत्र है जिसमें व्यक्ति को बिजनेस माइंड वाला ने होकर विशेष माइंड वाला होना जरूरी है जो जनमानस को प्रभावित करता है।
इसमें सत्यता विश्वसनीयता का होना आवश्यक है वही लोगों में सकारात्मकता का संचार भी मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह समाज में घटित घटनाओं की सूचना प्राप्ति के लिए संचार के विभिन्न माध्यमों पर आश्रित रहता है। किसी भी मीडिया की सफलता उसके पाठकों पर निर्भर करती है और वर्तमान में सोशल मीडिया पर दिन-ब-दिन हिंदी के पाठकों व लेखकों लेखकों की सक्रियता बढ़ रही है जो इसकी सफलता को इंगित करता है।
आज के तकनीकी युग में तकनीक का विकास तीव्र गति से हो रहा है इस तकनीक से मीडिया भी अछूता नहीं है।इस तकनीक का फायदा उठाकर कहीं ना कहीं मीडिया लोभ प्रवृत्ति से प्रेरित होकर विज्ञापन आधारित खबरें परोसने का ही कार्य करने लग गया है वहीं तकनीक ने मीडिया को सृजनात्मकता और नवीनता दी है जिससे आमजन तक मीडिया लोकप्रिय हो गया है।
उदारीकरण के पश्चात् देश में मीडिया का स्वरूप बदल गया है और वर्तमान में मीडिया पाठक को उपभोक्ता की दृष्टि से देखने लगा है।पूंजीवादी युग में मीडिया के विषय और विचार भी बदल गए हैं।आज का मानव भूमंडलीकरण के पश्चात राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से ताल्लुक रखना चाहता है। मीडिया का भाषा के साथ निकटतम संबंध है।मीडिया से जुड़े व्यक्ति का भाषा की स्थिति से परिचित होना आवश्यक है।विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार भाषा के कई रूप मिलते हैं।वर्तमान समय में हिंदी प्रमुख भाषाओं में अपना स्थान बना रही है ।
कुछ वर्षों पुर्व गूगल के पूर्व सीईओ एरिक श्मिट ने दावा किया था कि इंटरनेट पर हिंदी (Hindi) अंग्रेजी को पीछे छोड़ देगी,हिंदी ने उसी गति से इंटरनेट पर अपनी छाप छोड़ी है। वर्तमान में यूनीकोड आ जाने से हिंदी लिपि देवनागरी का खूब विस्तार हुआ है । जुलाई 2003 में हिंदी विकिपीडिया की शुरुआत हुई और उसी समय लाइनेक्स और और और उसी समय लाइनेक्स का आरंभ हुआ । ऑपरेटिंग सिस्टम मिलन भी आया।
हिंदी वर्तनी जांच के लिए सुईट भी जारी हुई। हिंदी (Hindi) का वर्चुअल कीबोर्ड वर्चुअल कीबोर्ड आने पर हिंदी को बढ़ावा मिला हैं परंतु आज भी हिंदी के वैश्विक विस्तार के लिए इस क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है।
हिंदी (Hindi) विस्तार के इन्हीं माध्यमों में मुख्य माध्यम मीडिया ही है क्योंकि वर्तमान समय में मीडिया की पहुंच ही देश दुनिया के हर कोने में बैठे व्यक्ति तक है। फरवरी 2018 में एक सर्वेक्षण के हवाले से खबर आई कि इंटरनेट की दुनिया में हिंदी ने भारतीय उपभोक्ताओं के बीच अंग्रेजी को पछाड़ दिया है (साभार-अमर उजाला 1 मार्च 2019)। 21वीं सदी में मीडिया की प्रमुख भाषाओं में हिंदी का होना इसलिए भी संभव है क्योंकि इसको बोलने जानने तथा चाहने वाले भारी तादाद में है।
देश के हर पांच में से एक व्यक्ति इंटरनेट को हिंदी में एक्सेस करना पसंद करता है (साभार- दैनिक जागरण ) । संदीप मेनन के अनुसार वेब पर हिंदी कंटेंट की खपत बढ़ रही है यह इंग्लिश कंटेंट के 19% वृद्धि के मुकाबले 94% के साथ बढ़ी हैं।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हिंदी (Hindi) का विस्तार –
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वह माध्यम है जिसके माध्यम से जन संचार को रोचक व जीवंत प्रस्तुतीकरण दिया जा सकता है। अगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भाषा आम जन की भाषा हो, लोकप्रिय भाषा हो तो ही जनसंचार का माध्यम सार्थक हो सकता है। इसमें तकनीक का स्थान तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही भाषा व उसके शब्दों का चयन, उच्चारण बहुत मायने रखता है जैसे- कमेंट्री का प्रस्तुतीकरण हो तो वह श्रोता तक रोचकता के साथ तभी पहुंचेगी जब शब्दों में आकर्षण होगा।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषा को माध्यम का रूप देकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विकास के मार्ग पर गति पकड़ चुका है।सुचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जो आश्चर्यजनक विकास हुआ है उसने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को व्यापक बना दिया है। आजकल खबरों के इंटरनेट संस्करण आने लगे हैं वहीं विश्व के किसी भी कोने में हो रही घटना को पूरे विश्व में तुरंत प्रसारण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ताकत है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की आम जन तक पहुंच का कारण हिंदी भाषा का चयन ही है।
भाषा कंप्यूटरीकरण में भी हिंदी का कंप्यूटरीकरण शीघ्र हो रहा है। इंटरनेट,रेडियो, टीवी ,केबल ,कंप्यूटर और संचार की 4जी तकनीक के विकास में हिंदी भाषा केंद्र बिंदु रही है। भारतीय सभ्यता संस्कृति व वैज्ञानिक चिंतन को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और हिंदी दोनों ने मिलकर ही संपूर्ण संसार में परिलक्षित किया है।
हिंदी (Hindi) भाषा शिक्षण को तवज्जो दिए जाने के कारण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हिंदी का सामर्थ्यशील बनने का ही उदाहरण है। भाषाएं संस्कृति को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाती है और भाषा की समृद्धि क्षेत्र की संस्कृति व सभ्यता की समृद्धि की घोतक है। वर्तमान में हिंदी भाषा विश्व पटल पर बहुत से लोगों की अभिव्यक्ति का माध्यम है ।हिंदी के वैश्विक स्वरूप को संचार माध्यमों में फलता फूलता देखा जा सकता है परंतु इसके प्रचार प्रसार व लोकप्रियता के लिए विभिन्न संचार माध्यमों पर इसकी उपलब्धता सुलभ होने के साथ-साथ जागरूकता का होना भी जरूरी है।
रेडियो के माध्यम से हिंदी का प्रचार प्रसार –
1906 में रेडियो के आविष्कार के साथ ही विभिन्न भाषाओं में प्रसारण होना शुरू हो गया परंतु हिंदी (Hindi) भाषी क्षेत्र मुख्यतः ब्रिटिश उपनिवेश थे फलतः हिंदी (Hindi) व आकाशवाणी का संबंध कुछ समय बाद ही शुरू हुआ हालांकि भारत में भी आजादी से पहले रेडियो प्रसारण से संबंधित कई बाधाएं आई परंतु आजादी के बाद रेडियो प्रसारण व चैनलों में अधिकाधिक वृद्धि हुई। वर्तमान में भारत में 231 रेडियो स्टेशन संचालित है।
एन एस डी आकाशवाणी के द्वारा एक तीन दिन की हिंदी भाषा कार्यशाला का आयोजन हिंदी (Hindi) भाषी संवाददाताओं के मौखिक कौशल को उन्नत बनाने हेतु किया जाता है।
आकाशवाणी द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों में समाचार बुलेटिनो के साथ-साथ आम आदमी से जुड़े मुद्दे व सरकारी कार्यक्रमों की कवरेज दी जाती है जो हिंदी (Hindi) भाषा में होने से पूरे भारत के लोगों तक पहुंचती है। आकाशवाणी पर खेलों का सीधा प्रसारण जब हिंदी में होता है तब आकाशवाणी को सुनने वालों की संख्या पूरे विश्व में बढ़ जाती है क्योंकि हिंदी भाषी लोग पूरे विश्व में फैले हुए हैं । आकाशवाणी की विशेष कवरेज के तहत संसद समीक्षा प्रसारित की जाती है जो कि हिंदी भाषा का लोकप्रिय कार्यक्रम है ।
आकाशवाणी का विदेशी सेवा प्रभाग संपूर्ण विश्व में हिंदी (Hindi) के प्रचार प्रसार का महत्वपूर्ण साधन है का महत्वपूर्ण साधन है। यह भारत को एक सशक्त,प्रगतिशील एवं धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में प्रस्तुत करता है। इसका प्रसारण पश्चिमी एशिया, खाड़ी के देशों तथा दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में रात 9:00 बजे तक किया जाता है।
आकाशवाणी द्वारा तीन स्तरीय प्रसारण प्रारंभ किए गए हैं जिसका राष्ट्रीय प्रसारण राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान और नैतिकता का प्रतिनिधित्व बन गया है। आजकल हिंदी में अपने टेलीफोन पर विशिष्ट नंबर डायल कर आकाशवाणी से समाचार सुन सकते हैं। इंदिरा गांधी मुक्त राष्ट्रीय विश्वविद्यालय अपने ज्ञान वाणी चैनल से हिंदी भाषा में शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण करता है ।
दूरदर्शन के आने के बाद रेडियो के श्रोताओं में कमी आई परंतु एफएम रेडियो ने पुनः रेडियो प्रसारण का क्रेज बढ़ा दिया।आकाशवाणी ने समाचार,शैक्षिक, सामाजिक सरोकारों, संगीत, मनोरंजन,समीक्षा ,सरकारी योजनाओं आदि सभी स्तरों पर प्रसारण द्वारा हिंदी को देश ही नहीं वरन विदेशों में भी पहुंचाने का कार्य किया है ।
टीवी के माध्यम से हिंदी (Hindi) का प्रचार प्रसार –
भारत में दूरदर्शन की शुरुआत 15 सितंबर 1959 को हुई थी। उस दौरान यह मात्र कुछ घंटों के लिए प्रसारित किया जाता था। धीरे-धीरे इसका नाम टेलीविजन इंडिया के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1975 में यह दूरदर्शन के नाम से जाना जाने लगा। उस समय इसका प्रसारण कुछेक कार्यक्रमों के अंतर्गत ही होता था परंतु 1985 से 1989 के मध्य दूरदर्शन को काफी हद तक स्वतंत्रता मिली ।यह सफर सेटेलाइट से केबल फिर डीटीएच प्रौद्योगिकी तक विस्तृत हो गया जिस ने मीडिया को विस्तार दिया।
हालांकि दूरदर्शन शुरू से ही हिंदी (Hindi) भाषा के साथ अधिक से अधिक कार्य करने का प्रयास कर रहा था परंतु फिर भी विश्व बाजार में इसे अंग्रेजी में कार्य करना पड़ रहा था जोकि वर्तमान में हिंदी के साथ लोकप्रिय हो रहा है। भूमंडलीकरण के प्रभाव व बदलती राजनीति के अंतर्गत मीडिया का रुख बदल गया और विज्ञापन सेक्टर के आने से मीडिया का विस्तार हुआ और पूंजी की कमी भी नहीं रही।
मीडिया में हिंदी की लोकप्रियता और मांग के मद्देनजर हिंदी (Hindi) चैनलों को बढ़ावा मिला। उसके बाद 1982 का दिल्ली एशियाड रंगीन टीवी क्रांति का माध्यम बना जिसने हिंदी कमेंट्री का प्रसारण पूरे भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में हिंदी भाषी लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया।1992 में केबल नेटवर्क 41 लाख ग्राहकों तक फैला हुआ था जो मात्र 4 वर्षों में अर्थात 1996 में 92 लाख ग्राहकों तक फैल गया था। टीवी पर प्रसारित धारावाहिकों ने आम भारतीय जनमानस को अपनी ओर आकर्षित किया । धारावाहिक न केवल हिंदी के प्रचार प्रसार के माध्यम बने बल्कि राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने में भी सहायक बने।
दूरदर्शन का सबसे बड़ा फायदा अहिंदी क्षेत्रों में इन धारावाहिकों, फिल्मो व केबीसी जैसे नाटकों के प्रति रुझान बढ़ने का हुआ जिससे हिंदी का प्रसार हुआ। टीवी पर राज्यसभा, लोकसभा ,डीडी किसान जैसे चैनल देश विदेश में हिंदी भाषी लोगों को राजनीतिक गतिविधियों व कृषि जैसे विषयों पर पर प्रसारण सुविधा देते हैं। बॉलीवुड दुनिया के फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है जो हिंदी के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अब तो स्टार न्यूज़ जैसे चैनल अंग्रेजी में आरंभ हुए थे वह भी हिंदी चैनल में बदल गए साथ ही ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स जैसे चैनल हिंदी में कमेंट्री देने लग गए।
प्रिंट मीडिया के माध्यम से हिंदी का विस्तार –
किसी सूचना या संदेश को संदेश को लिखित माध्यम में एक स्थान से दूसरे स्थान तक साझा करने में प्रिंट मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है । जर्मनी के गुटेनबर्ग में खुले प्रथम छापेखाने से लेकर अब तक संचार के क्षेत्र में खूब प्रगति हुई है।मैग्जीन, जर्नल, दैनिक ,साप्ताहिक, मासिक अखबार आदि प्रिंट मीडिया के अंतर्गत आते हैं। प्रिंट मीडिया में विदेशी पूंजी के निवेश से सीएनएन ,बीबीसी जैसी संस्थाएं भारतीय बाजार में आकर्षित हुई है। मीडिया में जब अंग्रेजी का बोलबाला था तब अंग्रेजी अखबार अंग्रेजों के पक्ष के माने जाते थे।धीरे-धीरे स्वदेशी जागरण और क्रांति का सूत्रपात हुआ तब हिंदी का दौर शुरू हुआ ।
उपनिवेश काल से ही भारत में प्रिंट मीडिया का अहम रोल रहा है । भारतीय क्रांति में प्रिंट मीडिया ने जन जागरण में स्वतंत्रता संग्राम को गति दी। भारत में पहला अखबार बंगाल गजट प्रकाशित हुआ था तब से आज तक तक प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। हिंदी का पहला अखबार 1826 में उदंत मार्तंड आया था । अखबारों में सबसे ज्यादा वृद्धि उत्तरी क्षेत्र में 7.83% के साथ देखने को मिली वही सबसे कम पूर्वी क्षेत्रों में 2.63% के साथ देखने को मिली है ।सभी भाषाओं के अखबारों में सबसे अधिक वृद्धि हिंदी भाषा के अखबारों में हुई है। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा अखबारों का बाजार है। (साभार- विकिपीडिया)
वर्तमान में प्रिंट मीडिया में हिंदी (Hindi) का प्रयोग दिनों दिन बढ़ रहा है। भारत मे अधिक समाचार पत्र हिंदी के हैं (साभार -हिंदी का वैश्विक परिदृश्य ,करुणा शंकर उपाध्याय)
इकोनॉमिक्स टाइम्स व बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे अखबार हिंदी भाषा में छप कर हिंदी में निहित संभावनाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी का विस्तार –
दुनिया के हर कोने में बैठे व्यक्ति के साथ इंटरनेट द्वारा संवाद के लिए उपलब्ध साधन समूह ही सोशल मीडिया है ।एक वक्त था जब मीडिया के दो ही रूप प्रचलन में थे -प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। इन दोनों ने अपने क्षेत्र में खूब प्रगति की परंतु इन दोनों के बाद सोशल मीडिया ने बहुत तेजी से अपने पांव पसारे हैं ।वर्तमान में यह आम आदमी के जीवन का हिस्सा बन गया है ।
सोशल मीडिया का दैनिक जीवन में उपयोग अनेकों अनेक सोशल नेटवर्किंग साइटों द्वारा हम कर रहे हैं जिनमें टि्वटर, फेसबुक, फेसबुक, ऑरकुट,लिंकडइन,इंस्टाग्राम आदि मुख्य हैं।सितंबर 2018 के अनुसार अमेरिकी रिपोर्ट के द्वारा हिंदी (Hindi) में ट्वीट करना अत्यंत लोकप्रिय हो रहा है। इसके अनुसार वर्ष 2017 में जो सबसे अधिक रिट्विट किए गए उन 15 संदेशो में से 11 संदेश हिंदी के थे ।(साभार -विकीपीडिया)
संसार में प्रचलित इन सोशल नेटवर्किंग साइटों पर हिंदी (Hindi) का जितना उपयोग हो रहा है यह इस भाषा के लिए उतना ही बेहतर है ।इससे यह भाषा न केवल भारत में ही समृद्ध होगी वरन विदेशों में भी विस्तार लेगी। व्हाट्सएप का उपयोग करने वाले सबसे वाले सबसे वाले सबसे अधिक संख्या में भारत में ही है । भारत में 4G का संचालन होने से सोशल मीडिया पर आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ रहा है वैसे वैसे हिंदी की लोकप्रियता भी बढ़ रही है ।
वर्तमान में वॉइस सर्च और गूगल मैप का उपयोग भी हिंदी (Hindi) भाषा में होने के कारण हिंदी भाषी लोगों को इसके उपयोग का अवसर मिला है। गूगल इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक देश की आधी जनसंख्या सोशल मीडिया से जुड़ जाएगी सोशल मीडिया पर कविता कोश जैसी वेबसाइट में साहित्य की उपलब्धता इस बात का प्रतीक है कि वर्तमान में सोशल मीडिया सोशल लाइब्रेरी तक समाए हुए हुए है।
वही हिंदी (Hindi) भाषी या अन्य भाषा के लेखको के लिए यह एक ऐसा मंच है जहां किसी कि बिना अनुमति स्वतंत्र लेखन को प्रसार मिला है। संसार की हर एक भाषा सोशल मीडिया पर विमर्श हेतु उपलब्ध है इसमें हिंदी भी एक है । एक समय ऐसा था जब अंग्रेजी भाषा ही सोशल मीडिया का प्रतिनिधित्व करती थी परंतु समय के साथ अन्य भाषाओं ने भी अपना विस्तार किया जिसमें हिंदी सोशल मीडिया पर लोकप्रिय भाषा बनकर उभरी हैं।
निष्कर्ष-
एक समय हिंदी के समक्ष स्वयं को राष्ट्रभाषा सिद्ध करने की चुनौती खड़ी थी तब मीडिया ने इसे संपूर्ण भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के हर कोने में पहुंचाया है। रेडियो, टीवी, और समाचार पत्रों के माध्यम से हिंदी जन भाषा बन गई है ।
तकनीकी युग में हिंदी भाषा का कंप्यूटरीकरण व इंटरनेट पर हिंदी के उपयोग को सरल व सुलभ बनाने की आवश्यकता है।
किसी भी मीडिया की सफलता उसके पाठकों पर पर निर्भर करती है।आज के पाठक को मीडिया उपभोक्ता के रूप में ले रहा है अतः हिंदी के उपभोक्ता के लिए जागृति की आवश्यकता है।प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक के विकास के सफर में हिंदी मील का पत्थर साबित हुई है। हिंदी के पाठकों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से अब तक हिंदी भाषा के समाचार पत्रों, रेडियो चैनलों, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर उपयोगकर्ताओं की संख्या में इजाफा मीडिया और उसकी भाषा की सफलता बयान कर रहा हैं। किसी भाषा को आमजन तक पहुंचाने व उसकी लोकप्रियता में सहायक वही हो सकता हैं जो दैनिक जीवन मे हस्तक्षेप रखता हो अतएव हम कह सकते हैं कि मीडिया हिंदी भाषा को वैश्विक विस्तार देने का सबसे उपयुक्त माध्यम है क्योंकि मीडिया की पहुंच देश दुनिया के हर कोने में हैं।
सन्दर्भ ग्रन्थ-
1.हिंदी का वैश्विक परिदृश्य-डॉ करुणाशंकर उपाध्याय
2.हिंदी के सञ्चार माध्यम-विकीपीडिया
3.https://sg.inflibnet.ac.in.
4.https://hindi.webduniya.com
लेखक :-
Jaipal Soni
अध्यापक, राजकीय माध्यमिक विद्यालय लाखनसर,श्री डूंगरगढ़, बीकानेर,राजस्थान।
मो.न.-9001457350
ई-मेल-jaipalsonijp@gmail.com

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